इंसानियत
इंसानियत


इंसान की कदर करना सीखो
इंसान इंसान होते है
जब्बत हर इंसान में होता है
दिल और जान भी होता है
माना कि इंसान को खेल समझते हो
पर इंसान की इंसानियत का क्या
उनके जज्बातो का क्या
मोल लगाओगे
या बेच आओगे
कितना सुकून मिलता है आपको
जब इंसान दर्द देता इंसान को
दर्द का क्या मोल लगाओगे
या जख्म को नमक लगाओगे
माना आज के बाजार में इंसानियत बिकती है
और हैवानियत ही टिकती है
जज्बात की खिल्ली उड़ती है
और उसके बाद भी कहा दिल्ली मिलती है
इंसान का क्या करे दोस्तो
दिमाग तो मिल गया है उनको
पर एहसास मर गए
इंसान तो बन गए
इंसानियत भूल गए
सोचो और क्या भूल रहे
किसे ज्यादा तूल रहे
क्या आपका कल और भयानक होगा
या प्रण लेकर इसका अन्त होगा
फैसला आपका है
क्योंकि समाज भी आपका है।