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Ms Ishrat Jahan Noormohammed Khan

Abstract

5.0  

Ms Ishrat Jahan Noormohammed Khan

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इन्तजार

इन्तजार

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कुछ अजनबी ऐसे मिले इस दुनिया में

जो हमे अपना बना के चले गए

कुछ हमारे अपने ऐसे निकले,

जो गैर का मतलब बाखुबी बता गए

दोनो का ही शुक्रिया दोस्तो

दोनों जिंदगी असल में जीना सीखा गए


रिश्ते बनाना इतना आसान होता है जैसे

कहते है

‘मिट्टी' पर 'मिट्टी' से ‘मिट्टी’ लिखना

लेकिन रिश्ते निभाना उतना ही मुश्किल जैसे

'पानी' पर 'पानी' से ‘पानी’ लिखना...


तो एे दोस्त फैसला तेरा है 

मिट्टी या पानी...

इन्तजार हम करेंगे....


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