अस्तित्व
अस्तित्व
अकेली मैं
वक़्त ने बेरहमी से
पीटा है मुझे हर कदम
वक़्त ने भी छला है मुझे
मेरी हर खुशियो को
रौंदा है इसने
मेरे अस्तित्व के
परख्च्चे उड़ा दिये हैं
एकान्त स्नो के लिए
कुछ यादें सहज रखे थे मैंने
उसे भी मिटाना पड़ रहा
विचारों के भँवर में
डूबना उतरना पड़तापड़ता है
जिंदगी के हर मोड़ को
टकटकी लगाकर देखना पड़ता है
सुनी रहे हर कुछ सूना
हो गई है ज़िन्दगी बोझिल
हाड़ -मांस की एक ज़िंदा लाश
कब्रिस्तान की पत्थर
वक़्त की हर थपेड़ों को सहना
जिंदगी की सच्चाई बन गई।
