जिंदगी से राबता
जिंदगी से राबता
जिंदगी तुझसे राब्ता कम हो रहा
धीरे धीरे तुझसे नाता खत्म हो रहा
शायद तुझे जिंदगी के रुख बदलने पसंद है
पर हम गिरगिट नही इसलिए नापसंद है
शायद कोई जीने का सलीका अलग होगा
जो हमे आता नहीं होगा
माँ के पैरों के नीचे जन्नत होती
पिता जन्नत का दरवाजा होता
अगर मेरी जन्नत ही नही रहीं
तो किस बात की हसी रही
हम भी साथ चल देंगे उनके साथ होंगे विदा
दोस्तो उनके बिना हम भी अलविदा
