Rushil Agarwal

Abstract Action Fantasy

4.6  

Rushil Agarwal

Abstract Action Fantasy

अनजान सवाल

अनजान सवाल

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नहीं जानता कौन हूं मै,

नहीं जानता क्यों हूं मै,


मेरे ख्वाब ही मुझको मुझसे है जोड़ते,

मेरे कदम ही मुझको हर वक्त है मोड़ते,

मेरी पहचान ही क्या मेरा कर्म है,

ना जाने जीवन का क्या मर्म है,


मैं बेचैन हो उठता हूं हर कुछ दिनों में,

आरज़ू मेरी बदल जाती हैं हर कुछ दिनों में,

अन्धकार सा जब कभी छा जाता हैं,

हर वक्त हर पल जी को सताता हैं,


खोजना उत्तर क्या इतना आसान हैं,

दिल को सहला लेना क्या इतना आसान हैं,

कई बार तो बस में रुक सा जाता हूं,

अपने को भीड़ में अकेला सा पाता हूं,


क्या जानता हैं कोई यहां क्या हैं चल रहा,

या सब बस थमे है और ना जाने क्या हैं चल रहा,

क्या सोचा है किसीने क्या सोचा था यहां आने का,

या बस सब घिरे हुए और सोच रहे कुछ पाने का,


अगर उत्तर है सवालों के तो मिलते नहीं है क्यों,

और नहीं उत्तर सवालों के तो ढूंढता कोई नहीं हैं क्यों,

और सवाल ही अगर नहीं तो पूछता कोई नहीं हैं क्यों,

और ज़िंदा हो तुम अगर तो सवाल कोई नहीं हैं क्यों,


नहीं जानता कौन हूं मैं,

नहीं जानता क्यों हूं मैं।


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