निशा आगमन
निशा आगमन


रात की रानी ने मुखड़ा खोला,
कि देखे चंदा को जी भर,
बह चला गंधवाह,
जुगनू ने राह दिखाई
चंदा तक बात पहुँचाई।
खिल उठा चाँद,
नील गगन में,
वह प्रेयसी का आह्वान।
भर उठे चषक
ढलने लगी मदिरा,
चाँद रसभोर था,
सितारे मदहोश थे,
रात भी सुध भूल गई,
फैल गया आँचल
सितारे जिसमें जड़े थे।
मोल जिनके बड़े थे।