अनभिज्ञ से हम
अनभिज्ञ से हम
जीवन जितनी सहजता से मिला है
उतनी ही सहजता से
अस्तित्व में निरंतर बना रहता है
उतनी ही सहजता से पलता है
उतनी ही सहजता से
सुरक्षित रहता है।
हर पल प्रकृति हमें स्पर्श करती है
हवा, या श्वांस की निरन्तरता ही नहीं
प्रकाश भी स्पर्श करता है
उसके स्पर्श दुनिया से
दुनिया रंग बिरंगी लगती है
इस सहज स्पर्श से अनभिज्ञ हम
बहुत कुछ सोचते रहते हैं
मंसूबे बांधते रहते है
अपने को विद्वान समझते हैं
सबसे सुंदर और महत्वपूर्ण भी।