कहना- हिंदी की अजीब सी क्रिया
कहना- हिंदी की अजीब सी क्रिया
सब कुछ कहां कह पाते हैं,
कुछ रह जाता है अंदर
अंगराई ले बाहर आने को बेकल
चाहे सब बयां करना
पर इतना आसान भी नहीं है सब कह जाना।
वक्त लगता है
मन को मनाने में, ढांढस बंधाने में
आसान नहीं है सब कह जाना।
एक तड़प सी रह जाती है
एक कसक सी रह जाती है
कैसे कहूं सोचकर जी घबराता है
कहां आसान है सब यूं कह देना।
कुछ अधपके से ख़्याल
कुछ जाने पहचाने कुछ अंजान
मन जताने को बेचैन
पर करें तो क्या कहें तो क्या
सब कुछ हम कहां कह पाते हैं।
-स्नेहिल
(स्वरचित)
