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Bhawna Kukreti

Abstract Fantasy

4.5  

Bhawna Kukreti

Abstract Fantasy

यादें...

यादें...

1 min
206


सयाना दिल

नन्हे बच्चे सा होने

लग जाता है

जब भी तुम्हें 

याद करता है।


यादों में 

बहुत सी बातें है

उधार जैसी

मगर तुम्हें लौटाने

को दिमाग राजी

नहीं होता।


रख देती हूँ

यहां-वहां ऊपर-नीचे

अक्सर उछाल के

डाल देती हूँ

रोशनदान की तरफ

पहुंच से दूर।


कभी नहीं रखती

उन्हें मैं दरवाजे के पास

बनी ताक में

न ही कभी रखती हूं 

पूजा की जगह।


दिमाग

चौकन्ना हो कर

नजर रखता है

खामोश बैठे उस 

बच्चे की हर

हरकत पर।


जंग लगी यादें,

वो सुइयाँ होती हैं जो

सीती नहीं 

कुछ भी आपस में

सिर्फ जहर बुझी 

होती हैं।



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