उसका रूठना और मेरा मनाना
उसका रूठना और मेरा मनाना
किताब पढ़ रही है वो सिर्फ
उसे नजर अंदाज करने के लिए
नाराजगी दिखाती तो है लेकिन
सिर्फ उसे जताने के लिए
निगाहें उनकी निगाहों से जा मिलीं
किताब से तस्वीर नीचे गिर पड़ी
छुपा ना सकीं वो दिल का फ़साना
भले ही थीं राज रखने में शातिर बड़ी
पता हैं उसकी शरारतें बुलाती है
फिर कहती हैं पास मत आया करो
वो रूठती है मुझसे बिन बातों के
कहती हैं तुम मुझे मनाया करो
सौ बात की एक बात पता हैं मुझे
वो मुझे अपना सब कुछ मानती है
वैसे प्यार मैं भी कम नहीं करता
और ये बात तो वो भी जानती है
हम एक दूसरे को समझते लेते हैं
ये इस रिश्ते की सबसे खास बात है
उसका रूठ जाना और मेरा मनाना
मेरे लिए अब ये बहुत आम बात है।