क्या खूब वो रात
क्या खूब वो रात
हाल दिल का बता नहीं पाते इसलिए
सोते नहीं रातों में करवटें बदलते हैं
सोचो क्या खूब वो रात होगी जब
प्यार में हर ख्वाब मन में मचलते हैं
फोन को कानों से लगाकर
बात करते करते सो जाते हैं
सोचो क्या खूब वो रात होगी जब
दो प्यार के ख्वाब एक हो जाते हैं
सिरहाने से तकिया खिसककर
जब तड़पती बाहों मे आया होगा
सोचो क्या खूब वो रात होगी जब
कुछ ख्वाबों ने उन्हें सताया होगा
एक मिलने को बेकरार होगा
दूसरा मिलने को तैयार होगा और
सोचो क्या खूब वो रात होगी जब
दबे पांव आया खिड़की से यार होगा
बिस्तर में चेहरा नजर आता होगा
सपनों में आकर खूब सताता होगा
सोचो क्या खूब वो रात होगी जब
लगें कि वही ख्वाब उसे भी सताता होगा।