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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Romance Fantasy Inspirational

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Romance Fantasy Inspirational

घायल पाखी

घायल पाखी

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नीर बहाऊँ 

द्रवित हृदय से 

पी पी टेर लगाऊँ 

मनवा मेरा 

घायल पाखी

मैं तो उड़ न पाऊं 


पिया गए परदेस 

गमन को 

ले व्यापार लुकाटी 

धन के पाछे छोड़ 

के मुझको विरह 

दंश की थाती 


रुक रुक हिचकी खाऊँ 

मैं तो नीर बहाऊँ 

द्रवित हृदय से 

पी पी टेर लगाऊँ 

भँवरा डोले कुञ्ज गलिन में 

पुष्प पुष्प रस चूसे 


मैं प्यासी पिय के 

दरसन की 

देह अग्नि जल जाऊँ 

मैं तो नीर बहाऊँ 

द्रवित हृदय से 

पी पी टेर लगाऊँ।


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