रेखाएँ
रेखाएँ
रेखाएँ क्या कहती है
कौन हो तुम ?
क्या हो तुम ?
कैसे हो तुम ?
ये रेखाएँ सब कुछ कहती है
कितना जिओगे ?
कैसे जिओगे ?
क्या पाओगे ?
क्या खो दोगे ?
ये रेखाएँ सबकुछ कहती है
अपने कर्म के अनुसार
अपना जीवन होता है
और यही इन रेखाओं का आधार होता है
ये लकीरें अपने कर्मों का जाल होता है
और ये नक्शा अच्छा बने
ये हर एक का प्रयास होता है।