चुनते हैं वो समान बढ़ के मौत के लिए, बेड़ियों के खुलने के आसार हो रहे। चुनते हैं वो समान बढ़ के मौत के लिए, बेड़ियों के खुलने के आसार हो रहे।
रौशनी गुल है, अंधेरे में भी खींचता हूँ रेखाएँ। रौशनी गुल है, अंधेरे में भी खींचता हूँ रेखाएँ।
और ये नक्शा अच्छा बने ये हर एक का प्रयास होता है। और ये नक्शा अच्छा बने ये हर एक का प्रयास होता है।