वो क्या दास्ताँ है!
वो क्या दास्ताँ है!
क्या तुमने कहा है ? क्या हमने सुना है?
इन हवाओं को है पता, वो क्या दास्ताँ है,
तुम सा न शोख कोई, न हम सा कोई यहाँ है,
तेरे दिल को है पता, जो मेरी आँखों में रवाँ है।
इन हवाओं को है पता ,वो क्या दास्तान है.....
हम चाहते है तुझको, खुद के अहम से ज्यादा,
तेरे वजूद में मेरे, होने की हर वजह है।
हम आसमान है खाली, तुम सितारों का जाल हो,
बिन खुशबू के पंकज में, यूँ दिलनशीं कहां है।
इन हवाओं को है पता ,वो क्या दास्तान है......
मेरे शेरों में तुम वजन हो, काफिये की हो खुबाई,
मैं मीर तो नहीं पर, तुम हो मेरी रुबाई,
मेरे हर शेर नज़र तेरे, तुझसे ही हर मिसरा है,
खुशबू के असर से ही, तो ये पंकज जवाँ है।
इन हवाओं को है पता , वो क्या दास्तान है.....