बूँदें सावन की
बूँदें सावन की
समा हे सुहाना, मोसम है मस्ताना,
शाम का रंगबेरंगी खीला है नज़ारा,
ईन हसीन वादियांँ मे छूप मत जाना,
झरमर बरस रही है बूँदें सावन की।
पंछी सब गाते रहे है मधुर तराना,
पपीहाँ की तरह पीयु पीयुं पूकारना,
सावन की धटामें तू दोडकर आना,
झरमर बरस रही है बूँदें सावन की।
गरज रहे है बादल तू मत तड़पाना,
बिजली सा चमकता चेहरा दिखाना,
तेरे प्यार की बारिश से प्यास बूझाना,
झरमर बरस रही है बूँदे सावन की।
बारिश मे मेरे संग तू रुमझुम नाचना,
आ कर प्यार से मेरी बांहोंमें समाना,
"मुरली" में मल्हार की धून सून जाना,
झरमर बरस रही है बूँदें सावन की।

