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V. Aaradhyaa

Drama Romance

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V. Aaradhyaa

Drama Romance

नटखट बादल

नटखट बादल

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बरसात का यह मतवाला बादल,

सबके तन मन को सरसाता बादल।

आता बादल -जाता पागल सा बादल,

कितनी दौड़ लगाता घूमडाता बादल।


कितना पानी लाता जाता है ये बादल,

यह नहीं कभी किसीको बताता बादल।

आषाढ़, माह के श्रावण, भाद्रपद में,

पानी खूब जमकर है बरसाता बादल।


काला-काला जग जलमय हो जाता,

सबके मन को बहुत ही भाता बादल,ल।

सावन भादो में ज़ब घर से निकलो,

निकलवा देता पुराना छाता बादल।


जब देखो पानी पानी ही देता जाता है,

कभी तो हमें दे-दे कुछ और रे बादल।

छिपकर बैठ जाते हैं घर में सबलोग,

जब भी आकाश में गड़गड़ाता बादल।


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