"हिन्द स्वप्न"
"हिन्द स्वप्न"
हिंद का स्वप्न पूरा होने को है, आतुर
विनेश प्रयास कर रही है, जी भरपूर
कुश्ती में जीतेगी, स्वर्ण पदक जरूर
करोड़ों की दुआएं होगी कबूल, जरूर
जिनके इरादों में जान होती है, हुजूर
वो लिखते इतिहास बनकर कोहिनूर
विनेश पर पूरे भारत को है, जी गुरुर
वो पेरिस में लहराएगी, तिरंगा सुदूर
वो शूलों को भी बना जाते है, फूल
जो रोना रोते नही, कर्म करते, भरपूर
जो दृढ़ इरादे से चलते कर्मपथ पर, शूर
उन्हें एकदिन मंजिल मिलती है, जरूर
