जाने कैसी मोहब्बत जताने लगे है !
जाने कैसी मोहब्बत जताने लगे है !
उनके पलको तले मै जो रोशन हुआ
अब वो पलके गिराने से डरने लगे है
मोहब्बत की झूठी किताबो मे अब वो
सुबह- शाम मुझको ही पढने लगे है !!
कह के गये थे मिलेगे ना तुमको
कल से ख्वाबो मे आकर वो मिलने लगे है
बद् दुआ करते थे मरने का जिसको
वही फूल गुलशन मे खिलने लगे है !!
बोले थे रोवोगे तडपोगे इक दिन
आज जाने क्यो मुझको हँसाने लगे है
कहते है हमको मोहब्बत है तुम से
जाने कैसी वो बाते बनाने लगे है !!
जमाने से है बेवफाई का रिश्ता
मुझको धडकन वो अपना बताने लगे है
बनाते है दोषी वो खुद को ही अक्सर
जाने कैसी मोहब्बत जताने लगे है !

