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PANKAJ SAHANI

Abstract Drama Romance

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PANKAJ SAHANI

Abstract Drama Romance

तन्हा रातों में बिखरते हैं कुछ मोती

तन्हा रातों में बिखरते हैं कुछ मोती

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मैं अश्कों की अपनी रवानी लिख रहा हूँ

गजल में इक कहानी लिख रहा हूँ !


तन्हा रातों में बिखरते हैं कुछ मोती

तेरे लिये मैं पानी लिख रहा हूं !


कागज कलम आज फिर उठा लिया मैंने

नये ज़ख्मों का दर्द पुरानी लिख रहा हूं !


कुछ किताबों को पढा था चंद वर्ष पहले

 जो मिली मोहब्बत जुबानी लिख रहा हूँ !


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