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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy

चाहतों के कदम

चाहतों के कदम

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जब से तुम्हारी चाहतों के कदम दिल के आंगन में पड़े हैं

तब से हम सुनहरे ख्वाबों के फूल राहों में बिछाए खड़े हैं 

सोये सोये से अरमान अंगड़ाई के झूले में झूलने लगे हैं

बहके बहके से कदम मुहब्बत की राहों पर चल पड़े हैं 

गुलाबी मुस्कुराहटों की खुशबू से महकने लगे हैं दिन 

नशीली नजरों के दो जाम मचलती रातों को ले उड़े हैं 

अलसायी यादों के जजबात सुगबुगाने लगे हैं मन ही मन 

धड़कनों के हर एक तार से गीत मुहब्बतों के निकल पड़े हैं 

जिंदगी भर का साथ मयस्सर नहीं पल दो पल का ही सही

संग आओगे तुम बस इसी इंतजार में हम यहां पर खड़े हैं 



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