chandraprabha kumar
Fantasy
चिड़ियॉं चहकीं
सूरज निकला
हवा बही
घास गीली
नन्हींपत्ती
ओस से भीगी।
डाल लगा
लाल कनेर,
फूल झरे
पेड़ तले,
गेंदा पीला
जीनिया खिला।
उनींदा स्वप्न जाग गया,
अधजगी शबनम मुस्करा दी।
लबों पे अब,
मुस्कराहट आने लगी।
हाइकु- दिन नि...
एकान्त सा...
सफल जीवन
शिव सावन
एकाकी प्रहर
अमृत पु...
उसी का प्रसा...
गये जंगल
गये बाजार
जा...
सोचती हूँ मन तो तू मेरा है तो क्या इज़ाज़त लू मैं माथा तेरा चूमने से पहले। सोचती हूँ मन तो तू मेरा है तो क्या इज़ाज़त लू मैं माथा तेरा चूमने से पहले।
भर बांहों में गोद में उठाना चाहता हूं। तेरे साथ जीने का बहाना चाहता हूं। भर बांहों में गोद में उठाना चाहता हूं। तेरे साथ जीने का बहाना चाह...
मन की करते तो सब हैं पर इसे सुनता कौन है। मन की करते तो सब हैं पर इसे सुनता कौन है।
मेरे जीवन परिवर्तन के हर चिंतन को वो दूर करे मेरे जीवन परिवर्तन के हर चिंतन को वो दूर करे
कभी समझदार, कभी नादान। वह है वक्त बलवान। कभी समझदार, कभी नादान। वह है वक्त बलवान।
हो जाती फिर से सतरंगी सी बरसात मनरंगी सी बात। हो जाती फिर से सतरंगी सी बरसात मनरंगी सी बात।
स्वीकृति भी धरा की छोर-छोर नज़र आती है रूत ये सावन चित्तचोर नज़र आती है। स्वीकृति भी धरा की छोर-छोर नज़र आती है रूत ये सावन चित्तचोर नज़र आती है।
सर्वशक्तिमान होने का गुरुर कोई तो है जिसके आगे हो तुम सब बेबस, मज़बूर। सर्वशक्तिमान होने का गुरुर कोई तो है जिसके आगे हो तुम सब बेबस, मज़बूर।
और इस तरह कल की बारिश में तांडव रूप में शांतता नजर आई। और इस तरह कल की बारिश में तांडव रूप में शांतता नजर आई।
उसके खातिर मेरे हर दुआ को तुने अपनी रजा दी है। उसके खातिर मेरे हर दुआ को तुने अपनी रजा दी है।
बैठ कर देख कभी आँगन में खो जाएगा। बैठ कर देख कभी आँगन में खो जाएगा।
अलग-अलग रूपों में आकर, तूने अलख जगाई है अलग-अलग रूपों में आकर, तूने अलख जगाई है
आकाश के पार कहीं दूर जाना चाहता हूं। आकाश के पार कहीं दूर जाना चाहता हूं।
मैं गजल लिखता रहा और वो गालिब हो गया। मैं गजल लिखता रहा और वो गालिब हो गया।
क्यूंकि जीवन की लंबाई नहीं जीवन की गहराई मायने होती है। क्यूंकि जीवन की लंबाई नहीं जीवन की गहराई मायने होती है।
बारिश का वर्णन मेरे बिना अधुरा है मेरी शान तो बारिश के साथ है। बारिश का वर्णन मेरे बिना अधुरा है मेरी शान तो बारिश के साथ है।
भय्युबेटी भय्युबेटी
सांझ के इंद्रधनुषी रंग को। मिलन के पहले की उसकी अधीरता को। सांझ के इंद्रधनुषी रंग को। मिलन के पहले की उसकी अधीरता को।
कुछ तोहफे तेरे सूरज से लगते हैं कुछ तोहफे तेरे सूरज से लगते हैं
काश दिल चाहता वो होता तो बात ही क्या थी। काश दिल चाहता वो होता तो बात ही क्या थी।