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नई विदाई

नई विदाई

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नन्ही सी गुड़िया है मेरी जूही की कली

चहकते महकते आज अचानक बड़ी हो चली

जीवन का सुनहरा मोड़ वो आया है

हर दिल में उमंग खुशियां संग लाया है।


पिया-घर जाने की होने लगी तैयारी

दुल्हन बन सज गयी मेरी राजदुलारी

बांध प्रेम के नूपुर पग में जाएगी ससुराल

विदा करूँगी कैसे तुमको होगा कैसा हाल।


मेरी बगिया की किलकारी दूजे घर चहकेगी 

मेरे उपवन की डाली भी तो दूल्हे से महकेगी

अर्थों हि कन्या परकीय नहीं ऐसा विश्वास

 दूल्हे को भी बेटे जैसा रखना मेरी आस।


आंसू नहीं बहाऊंगी मैं डोली में बैठाकर

मंगल गीतों से बाँधूंगी नव पथ का मैं नवस्वर

माँ हूँ ममता भरी हुई है मेरे मन के भीतर भी

रुखसत तुझे करूँगी जब मैं सूना होगा घर भी।


फिर भी दान नहीं दूँगी मैं, मेरी लाडो प्यारी का

सदा रहेगा ये घर आंगन मेरी राजदुलारी का

बिटिया है पाला है उसको ममता के झूले में 

धन नहीं कहना बेटी को तुम कभी किसी भूले में।


जैसे तेरा ये घर आंगन चहका करता है तुझसे

उस बगिया को भी महकाना ले आशीष ये मुझसे

नव जीवन है नव पथ पर नव साथी संग है रहना

नव आलोक बहे चतुर्दिश अब यही हमें है कहना।


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