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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy

नौकरी का पहला दिन

नौकरी का पहला दिन

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नौकरी का पहला दिन सोच नींद ही न आ रही थी ।

आने वाली सैलरी ख्वाबों में सब्जबाग दिखा रही थी ।


बड़े जतन से हर्फ-हर्फ ,कर आत्मसात नौकरी पाई थी ।

मां-बाप ने मन्नत मान एड़ी चोटी का जोर पेटकाट लगाई थी ।


मन ही मन हिसाब लगा रहे थे बहन का ब्याह अपनी सगाई। 

तभी सामने से एक सजी-धजी मैडम जी ने थी हांक लगाई ।


उठ विहंस नमस्तेकर उनको ज्वाइनिंग लेटर जैसे ही दिखाया ।

क्या बोल रहीं मैडम माया किंचित ठीक समझ न आया ।


देखिये महोदय ! ये गल्ती से लेटर आप के हाथ पकड़ाया है ।

उत्कोच (घूस)के आरोप,नियुक्ति चयन कैंसिल,आगे डेट बढ़ाया है ।


सजाये ख्वाबों को ,जलाती मानो साक्षात अग्नि बाती है ।

गरीबों को बिना पहुँच नौकरी पहला दिन कब दिखाती है?

      



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