नौकरी का पहला दिन
नौकरी का पहला दिन
नौकरी का पहला दिन सोच नींद ही न आ रही थी ।
आने वाली सैलरी ख्वाबों में सब्जबाग दिखा रही थी ।
बड़े जतन से हर्फ-हर्फ ,कर आत्मसात नौकरी पाई थी ।
मां-बाप ने मन्नत मान एड़ी चोटी का जोर पेटकाट लगाई थी ।
मन ही मन हिसाब लगा रहे थे बहन का ब्याह अपनी सगाई।
तभी सामने से एक सजी-धजी मैडम जी ने थी हांक लगाई ।
उठ विहंस नमस्तेकर उनको ज्वाइनिंग लेटर जैसे ही दिखाया ।
क्या बोल रहीं मैडम माया किंचित ठीक समझ न आया ।
देखिये महोदय ! ये गल्ती से लेटर आप के हाथ पकड़ाया है ।
उत्कोच (घूस)के आरोप,नियुक्ति चयन कैंसिल,आगे डेट बढ़ाया है ।
सजाये ख्वाबों को ,जलाती मानो साक्षात अग्नि बाती है ।
गरीबों को बिना पहुँच नौकरी पहला दिन कब दिखाती है?
