नाकामयाबी
नाकामयाबी
जाने क्यों उसके कदम बहक गए,
आगे बढ़ने के चक्कर में बाहर निकल गए,
बेहतर के चक्कर में कुछ ना कर पाया,
उसकी नाकामयाबी के जनाजे निकल गए।
अपनी नाकामयाबी से उसके तेवर बदल गए,
आगे बढ़ने की होड़ में जेवर बिक गए,
उसकी नाकामी के किस्से कुछ यूं हुए,
उसके अपने ही डिप्रेशन में चले गए।
उससे छोटे-छोटे अपनी जिंदगी में संवर गए,
उसके सारे सपने यूं ही बिखर गए,
वह खुद को भी ना संभाल पाया,
उसके अपने ही उसको देखकर सुधर गए।