ना भुला सके हम
ना भुला सके हम
शाम की चाय साथ पीने वाला काश कोई साथी होता,
उम्र के इस पड़ाव में काश कोई हमदम होता।
बालों पर सफेदी छाई है,
चेहरे पर झुर्रियां आ गई है,
चारों ओर बिखरी तन्हाई है,
ना जाने ये जिंदगी की गाड़ी हमें कहाँ ले आई है।
शाम की चाय साथ पीने वाला काश कोई साथी होता,
उम्र के इस पड़ाव में काश कोई हमदम होता।
मेरे आशियाने के सामने वो रहती है,
कभी कभी मुझसे दो बातें कर लिया करती है,
हम दोनों के अपनों ने हमें तन्हा छोड़ दिया था,
जो घर था कभी अब वो बस एक मकान रह गया था।
शाम की चाय साथ पीने वाला काश कोई साथी होता,
उम्र के इस पड़ाव में काश कोई हमदम होता।
एक रोज़ वो मेरे लिए बिरयानी बना कर लाई,
अपने हाथों में मेरे लिए दो पल को खुशियां समेट लाई,
लगता है इश्क हमें फिर हुआ,
जिंदगी में कोई बेगाना पल भर में अपना हो गया।
शाम की चाय साथ पीने वाला काश कोई साथी होता,
उम्र के इस पड़ाव में काश कोई हमदम होता।
हमने भी एक दावत के न्योते पर उन्हें बुलावा भेज दिया,
दावतें इश्क सा मंजर हुआ हमने दिल की बात को ज़ाहिर कर दिया,
हमने कहा चलो एक दूसरे के हमदम हमदर्द बन जाते है,
आओ थोड़ा थोड़ा दोनों एक दूसरे को संभालते है।
शाम की चाय साथ पीने वाला काश कोई साथी होता,
उम्र के इस पड़ाव में काश कोई हमदम होता।
उसने जवाब में हाँ कहा,
लोग क्या कहेंगे हमने एक बार भी नहीं सोचा,
एक साथी के बिना जिंदगी बेहद हसीन हो जाती है,
एक साथी के साथ जिंदगी जी जाती है।