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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Romance

4.8  

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Romance

मर जाता है मन

मर जाता है मन

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तुझको सोचूँ तो आँखों से झर जाता है मन ।

अहसासों के खारे जल से भर जाता है मन ।

सूरज, चाँद, सितारे, कलियाँ सब तो हैं फिर भी

याद बहुत आता है तू तो मर जाता है मन ।।



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