मनुष्य
मनुष्य
मनुष्य हो तो
मनुष्य होने की
परिभाषा को समझो तुम !
धर्म-अधर्म,
जात-पात,
रंग-भेद,
ऊंच-नीच के
भेद-भाव को छोड़ो तुम !
मनुष्य हो तो
मनुष्य से तुम
प्यार करो !
धर्म, जात, रंग-भेद पर
हो रहे मनुष्यो के बंटवारे का
तुम बहिष्कार करो !
मनुष्य हो तो
मनुष्यता को अपनाओ तुम
कभी मुफ़लिसो को भी
गले से लगाओ तुम !
ये मेरा मंदिर,
ये मेरा मस्ज़िद,
ये मेरा गुरुद्वारा,
ये मेरा गिरजाघर - में
भगवानो के बंटवारे को
छोड़ो तुम !
गर मनुष्य हो तो
हर दूसरे मनुष्य को
अपने साथ जोड़ो तुम !
मनुष्य है,
तो सुख-दुःख है,
हँसना है, रोना है
विचार है, आविष्कार है
नदियाँ है, जंगल है
पशु-पक्षी है, जानवर है
गर मनुष्य नहीं है तो
इन खूबसूरत चीज़ो का
होना भी बेकार है !
मनुष्य से ही तो
इस धरती की पहचान है
गर मनुष्य नहीं है तो
ये धरती वीरान है...!