मनचली ओ मनचली
मनचली ओ मनचली
अहसास हुआ है तुझसे मिलने के बाद
मेरी बेस्वाद ज़िन्दगी की तस्वीर खिल गई
रात-रात भर खोजता रहा जिसे मैं चाँद में
तुझे देखा तो आज वह तस्वीर मिल गई
जैसा सोचा था उससे कहीं अलग है तू
इश्क़ के बारे में आज मेरी राय बदल गई
इन नयनों की जवां मधुशाला में डूबकर
अगर सच कहूँ, दिल से आह निकल गई
तेरी गदरायी तरुणाई की सलवटों में
मनचली हवाओं की दिशायें बदल गई
आषाढ़ में भीगे चन्दन बदन को देखकर
बेईमान मौसम की भी नीयत मचल गई
मुमकिन ह
ै जैसा कल था आज वैसा नहीं हूँ
शायद ज़िन्दगी जीने की आदत बदल गई है
तुझसे दिल्लगी करूँ ख़्याल कभी मन में था
बात कल तक जुबां पर थी आज निकल गई
मेरी नम आँखों को था जैसे तेरा ही इंतज़ार
तेरी राह तकते-तकते आज फिर पिघल गई
हर मोड़ पर जहा-जहाँ तेरे क़दम पड़े प्रिये
गुजरकर वहा से जवानियाँ भी फिसल गई
तेरी अदाओं की धड़कनों की कम्पन से
सागर में सो रही चंचल तरेंगीं भी हिल गई
सुकून की पैबंद लगी उधड़ी सी चादर को
न जाने कब चुपके से आकर रात सिल गई