मन की बात
मन की बात
शब्दों में बंध सके ना
बातों में जो उलझे नहीं
आंखो की समझे खूब
दिल में बसे कहीं
चुपके चुपके हंस लें
रो लें कभी अकेले में
दुनिया से दूर कहीं
अपनी हो एक दुनिया
दीवाना कहे कोई
कोई कहे पागल
जग से दूर हैं
पर किसी के है
दिल के करीब
क्या यही प्यार है
एक बस यही सवाल है।