जब तुम लौटोगे
जब तुम लौटोगे
जब तुम लौटोगे
खिले फूल बेरंग हो मुरझा चुके होंगे।
अठखेलियाँ करती नदी थक कर
किनारों पर सर रखे सो गयी होगी।
तुम्हारे इंतज़ार में खड़ा चाँद
गश खाकर गिर पड़ा होगा
धरती और आसमान के बीच
गहरे गड्ढ़ में।
आँखों की नमी सूख चुकी होगी
चहकते महकते कोमल एहसास
बन चुके होंगे पत्थर।
लेकिन तुम एक बार आना जरूर
देखने तुम्हारे बिना
कैसे बदल जाता है संसार।

