सुनहरे सपने
सुनहरे सपने


चंचल सपने करते भ्रमित
पलकों पर है पलते
पंख लगा इनको अब
नयनों तक है पहुँचाना
प्रेम से भरे प्याले हों ज्यूँ
स्नेह में ढले पुलकित करते
लेते चाँद से उसका उजाला
इन्हें चाँदनी सा है महकाना
प्यार के बंधन से बंध
निश्छल चंचल चपल ये
tyle="background-color: rgba(255, 255, 255, 0);">जुगनू बन जगमगाते यहाँ
इन्हें अमर है अब बनाना
पुलकित करते ये हर क्षण
निज जीवन को सहलाते हर पल
उज्ज्वल निर्मल इनका मन
चिर स्नेह इनमे है बसाना
मधु के दिन मधुर बहुत
स्वप्न बन महकते रोज यूँ
खुली आँखों का हो सच ज्यूँ
बंधी रहे जीवनभर प्रीत की डोर ये वर दे जाना।