शब्द
शब्द
शब्द कभी मरते नहीं ,गूंजते हैं
बच्चों की किलकारियों में
होते हैं मासूम तुतलाती बोली में
शब्द कभी मरते नहीं
सुनते हैं मासूम की चीख़ों में
घुटती हुई साँसों में
शब्द कभी मरते नहीं
जम जाते हैं कहीं धमनियों में
फिर मुखर हो दौड़ते हैं
शब्द कभी मरते नहीं
पहुँच जाते हैं मस्तिस्क में
करने चीखो पुकार
शब्द कभी मरते नहीं
पहुँच जाते हैं गरीब के झोंपड़े में
ठण्ड से ठिठुरते शरीर में
शब्द कभी मरते नहीं
मिल जाते हैं बूड़े की लाचार लाठी में
अकेली करहाती चारपाई में
शब्द कभी मरते नहीं
पहुँच जाते हैं खेतों में
फूटते छाले बन पसीने की बूँदों में
शब्द कभी मरते नहीं
सोते नंगे फुटपाथ पर करवट बदल बदल
पहुँच जाते हैं आत्मा के पास
शब्द कभी मरते नहीं हो जाते हैं अमर
दोबारा जन्म लेने के लिये।
