मायका एक सतरंगी ख़्वाब
मायका एक सतरंगी ख़्वाब
हो जाती हर चीज पुरानी
धुंधली हो जाती वक्त के साथ यादें
नहीं भूलती है जो चीज
वो है बातें मायके की
मायका कभी पुराना नहीं होता
जाती हूँ जब भी बचपन लौट आता है
माँ की वही बातें कमजोर हो गई हो
यहाँ रह कुछ दिन,
आंखें हो जाती नम
मायका कभी पुराना नहीं होता
देखती हूँ हैरत से चहुँ ओर
एक एक दिवार बोलती मेरा नाम
माँ ने सजाई करीने से मेरी याद
भीगी पलकों से निहारती रहती
मायका कभी पुराना नहीं होता
पिताजी पूछते खुश&nb
sp;तो है
तेरा घर कैसा लगता है तुझे
सोचती रहती मेरा घर कहाँ
मन की करती थी सिर्फ यहाँ
मायका कभी पुराना नहीं होता
सब सोते मै जगती रहती दिन रात
संभाल सब काम थक जाती सोचती
उठती थी बाद में झिड़की देती माँ तुम्हें
सौंप सब देती तुम्हें अपने सभी काम
मायका कभी पुराना नहीं होता
जाते समय पिताजी ने कहा
कुछ छोड़ मत देना ले लेना सब सामान
कैसे कहूं चली हूँ सिर्फ आत्मा के साथ
सबकुछ यहीं छूट गया चंचल मन, रिश्ते नाते
खुशियां, मनमानियां, जिद और माँ की डांट
की मायका कभी पुराना नहीं होता।