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vijay laxmi Bhatt Sharma

Inspirational

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vijay laxmi Bhatt Sharma

Inspirational

तू छोड़ विदेशी धुन

तू छोड़ विदेशी धुन

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तू छोड़ विदेशी धुन अब स्वदेशी बनेगा तू

बदले हुए हिंदुस्तान की एक नई मिसाल बनेगा तू

स्वदेशी अपना कर अब आत्मनिर्भर बनेगा

मान अब तिरंगे का रख यही तेरा अब अभिमान बनेगा

कर अपने घर में तू काम अब यही तेरी पहचान बनेगा

तू छोड़ विदेशी धुन अब स्वदेशी बनेगा तू

बदले हुए हिंदुस्तान की एक नई मिसाल बनेगा तू

स्वदेशी अपना कर अब आत्मनिर्भर बनेगा


मालिक तुझे ऐसी धरती का मान सम्मान दिलाया

जहां पर है सभी सुविधाएँ तूने फिर भी विदेशी अपनाया

तू छोड़ विदेशी धुन अब स्वदेशी बनेगा तू

बदले हुए हिंदुस्तान की एक नई मिसाल बनेगा तू

स्वदेशी अपना कर अब आत्मनिर्भर बनेगा


जो अब जोड़ दे हर कड़ी तू सबका वो स्वाभिमान बनेगा

अपने ही घर की वस्तुओं से अब हर स्वदेशी सामान बनेगा

तू छोड़ विदेशी धुन अब स्वदेशी बनेगा तू

बदले हुए हिंदुस्तान की एक नई मिसाल बनेगा तू

स्वदेशी अपना कर अब आत्मनिर्भर बनेगा


विदेशी जो अपनाए तू वो धर्म अब तेरा नहीं है

वतन से करे जो ग़द्दारी वो कर्म अब तेरा नहीं है

तू छोड़ विदेशी धुन अब स्वदेशी बनेगा तू

बदले हुए हिंदुस्तान की एक नई मिसाल बनेगा तू

स्वदेशी अपना कर अब आत्मनिर्भर बनेगा


स्वदेशी की ना हो सुगंध समझ वो सामान तेरा नहीं है

विदेशी की हो गंध जिसमें उसको अब तूने छूना नहीं है

तू छोड़ विदेशी धुन अब स्वदेशी बनेगा तू

बदले हुए हिंदुस्तान की एक नई मिसाल बनेगा तू

स्वदेशी अपना कर अब आत्मनिर्भर बनेगा


ये लालच के ढेर विदेशी सामान ये शौक़ ये फ़ैशन तेरा नहीं है

ये करते तेरी रोज़ी रोटी का सौदाये तेरे देश के हितैषी नहीं हैं

तू छोड़ विदेशी धुन अब स्वदेशी बनेगा तू

बदले हुए हिंदुस्तान की एक नई मिसाल बनेगा तू

स्वदेशी अपना कर अब आत्मनिर्भर बनेगा


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