मेरा प्यार
मेरा प्यार
मेरे आसपास तुम्हारी मौजूदगी खुशियों की
चरम सा सुख महसूस करवाते कहती है,
मेरी पनाह में रहो तुम्हें जन्नत की सैर करवाता हूँ।
जादू की परिभाषा कहाँ जानती हूँ में
तुम्हारी साँसों की गर्मी जब जलाती है
मेरे गरदन पर ठहरे तील को, तब महसूस होता है
यही तो है तिलिस्मी छुअन का करिश्मा।
काव्य की गरिमा की पहचान तो नहीं मुझे
तुम्हारे बोल का रस विणा के तार से लगते हैं,
हर व्यंजना समा जाती है तुम्हारी वाणी में
तुम कहते रहो मैं सुनती रहूँ
इससे सुंदर कविता और कौन रच पाएगा।
स्वर्ग की कामना नहीं तुम्हारी आगोश में
आँखें मूँदे पड़ी रहूँ तुम मेरे गेसू सहलाते रहो,
मैं कोई नग्मा छेडूँ तुम साज़ बन जाओ
इस महफ़िल से सुंदर स्वर्ग तो नहीं होगा।
इश्क की वादियों में नाचती झूमती
प्रीत के शामियाने तले दो हथेलियों के बीच
एक सपना पले, ताउम्र तुम संग यूँ हीं
हर पल चाहत की बारिश में नहाते कटे
ज़िंदगी इससे हसीन तो होगी ही नहीं।