STORYMIRROR

Bina Goyal

Romance

4  

Bina Goyal

Romance

यादों की नमी

यादों की नमी

1 min
176

कभी कभी 

रातों को जब नींद 

आँखों से कोसों दूर होती है

मैं अतीत के कमरे से 

चुरा लाती हूँ तुम्हारी तस्वीर ,

उफ़्फ़फ़ इतना गुस्सा

तुम्हें तो तस्वीर में भी मुस्कुराना नहीं आता

कोई इतनी गंभीर तस्वीर 

खिंचवाता है क्या..?

और फिर मन भर हँसते हँसते 

न जानें कब ये आँखे नम हो जाती है

कमरे की दीवारें 

भीगी-भीगी सी महसूस होती है 

क्योंकि आँसू टपकते नहीं 

दीवारों में सिमट जाते हैं..


 देखो तो----

कितना बोलती हूँ न मैं

अब तक नहीं बदली आदतें मेरी....

शायद तुम्हें अब भी पसंद नहीं 

शब्दों का शोर--

या शोर-शराबे से दोस्ती कर ली तुमने

पता है- अक़्सर सन्नाटों में

चीखती है ख्वाहिशें मेरी 

मुझे क्यूँ जीने नहीं देती ये यादें तुम्हारी

जी चाहता है उन पलों को स्टैच्यू बोल दूं...

जिन पलों में कभी मैंने

टिकाये थे तुम्हारे कन्धों पर सर

और फिर सो जाऊँ 

कभी न टूटने वाली गहरी नींद...!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance