इस कदर तो तुम्हें किसी ने चाहा नहीं होगा
इस कदर तो तुम्हें किसी ने चाहा नहीं होगा
इस कदर तो तुम्हें किसी ने चाहा नहीं होगा,
रूठकर खुद तुमसे तुम्हें मनाया नहीं होगा।
पानी का मेरे हलक से कोई बसता ही नहीं,
कुएं तक पहुंच कोई प्यासा गया नहीं होगा।
गनीमत है यादों पर लकडाउन नहीं लगता,
ऐसा कोई दिन नहीं जो तुम आया नहीं होगा।
तुझे ठोकर लगे जिससे वो पत्थर तोड़ देता हूं,
इस तरह तो आसमां सर पर उठाया नहीं होगा ।
इल्जाम है मुझ पर तुझसे दूरियां बढ़ाने का,
दूर हो कर कोई इतना करीब आया नहीं होगा ।
जब भी पड़ा मौका शौक से फ़र्ज़ निभाया,
हक कभी कोई जुबान पर लाया नहीं होगा ।

