कुछ मन की बात बताएं
कुछ मन की बात बताएं
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फुरसत की घड़ी में मिलो तुम
तो कुछ मन की बात बात बताएं ।
थोड़ा सा तुम कहो थोड़ा हम
किसी बात पे रूठे तो किसी बात पे मुस्कुराए ।
कोई शक हो मन का
या बेहेम किसी बात का
बैठो जरा संग तुम
वो हर सवाल का हाल बताएं
क्यूं हुआ नहीं शामिल किसी महफिल में
क्यूं महीनों नजर ना आए
सबका हिसाब कर दे आज
बीती बात को भुलाएं
जो होना था वो हो गया
जो है उसे निभाएं
फुरसत की घड़ी में मिलो तुम
तो कुछ मन की बात बताएं।