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pawan Mohakul

Romance Tragedy

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pawan Mohakul

Romance Tragedy

दूर कर ना पाओगी

दूर कर ना पाओगी

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मुझसे तुम दूर जा तो रहे हो दूर कर ना पाओगे

मेरी आंखें

जिनमें तुम्हें डूब जाने की आदत है तुम इन्हें भुला ना पाओगे

जब भी करोगे अपनी आंखें बंद

खुद को मुझमें डूबा हुआ ही पाओगे

याद आयेगा धीरे धीरे से मेरा हाथ अपने हाथों मैं लेना

तुम्हारे स्पर्श के दबाव से मेरा वो तुम्हारी भावनाओं को पढ़ लेना तुम दूर तो हो जाओगे

पर मेरी याद भुला ना पाओगे

भले ही पास न रहूं तुम्हारे

तुम देखो भी नहीं मुझको

हर बात पर जो मैसेज भेजने की आदत है ना तुम्हारी

इतनी आसानी से छोड़ नहीं पाओगे

सोचोगे हर पल मुझे ही

यादों को आंसुओं से धुंधला कर न पाओगे

गाओगे जब भी कोई गीत नया

हर शब्द के साथ मेरी यादों को ही गुनगुनाओगे

देख लो सोच लो

तुमसे सिर्फ प्यार नहीं किया था मैंने

तुमको तुमसे ज्यादा जिया था मैंने

कैसे अपनी रूह को खुद से अलग कर पाओगे

याद है न तुमसे ज्यादा तुम्हारी आदतें मुझे पता है

कैसे मुझे भुला कर उन्हें याद रख पाओगे

तुम्हें तो ये कुछ भी नहीं मालूम खुद के बारे मैं

तुम्हारी आंखें सिर्फ मुझसे जो बातें करती थी

सुनो पछताना मत बाद मैं

एक बार दूर गए तो फिर कभी वापिस न आ पाओगे

याद करोगे हर पल

भूल कर मुझको तुम नहीं जी पाओगे

हां एक बात और मिले कोई तो

संभाल लेना उसको

पर शायद किंतु परंतु .....

दूर होकर भी तुम मुझसे खुद को अलग नहीं कर पाओगे ...



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