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pawan Mohakul

Romance

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pawan Mohakul

Romance

में कितना सोचता हूं तुम्हे

में कितना सोचता हूं तुम्हे

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रात ख्वाबों में भी आपने रोज टोटलता हूं तुम्हें,

तुम सोच नहीं सकती में कितना सोचता हूं तुम्हें।


कितना अजीब है तुमसे रोज दिल का लगाना,

मोहब्बत करना तुमसे और फिर बीछड़ जाना।


तुमसे लड़ता हूं और फिर रोज में ही मनाता हूं तुम्हें,

तुम सोच नहीं सकती में कितना सोचता हूं तुम्हें।


तुम जाना चाहती थी ना कभी छोड़कर मूझको,

मुझे चाहिए नहीं और कुछ छोड़कर तुझको।


मुलाकात अब तुमसे मयास्सर होगी नहीं तुम्हें,

तुम सोच नहीं सकती में कितना सोचता हूं तुम्हें।


मेरे बिना भटकती रहेगी अब तुम्हारी सारी बातें,

तुम्हारी बिना में भी तो सोया नहीं हूं कितने राते।


मुझसे बिछड़ कर तनहाई मेहेशोस तो होगी तुम्हें,

तुम सोच नहीं सकती में कितना सोचता हूं तुम्हें।


अब तुम मुझसे नफरत ही करने लगोे तो आछा,

तुम्हें मीठी चशनी सरबत लगने लगी तो आच्छा।


रोज आसूंओ से आपने तकिए पर उकेरता हूं तुम्हें,

तुम सोच नहीं सकती में कितना सोचता हूं तुम्हेंं।


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