गर्मी का इश्क
गर्मी का इश्क
पसीने से लथपथ बदन,
तेरी प्यास में ऐसे भड़का,
गर्मी आ गई है फिर से,
तेरे आगोश को ये दिल धड़का।
आ जा एक बार सनम,
ठंडी हवाओं में फिर प्यार करें,
खुले आसमान में चलो,
दिल ~ए ~इज़हार करें।
अधरों पर तेरे गर्म अधर,
गर्म साँसों से तन को महकायें,
लिपट बाहों में तेरी ज़ोर से,
हम भी कहीं झूल जायें।
पेड़ों के तने हो घने,
अपनी छाँव का बिस्तर बिछायें,
आने वाली सुहागरात की,
मस्ती में हम भी झूम जायें।
गर्म हवाओं के जब ,
तन पे पड़ते हैं थपेड़े,
भूल जाते हैं दोनो,
सर्द हवाओं के मेले।
ये गर्मी का इश्क भी ,
लाजवाब होता है ,
जब तन भी गर्म होता है,
और मन भी गर्म होता है।