मिलन
मिलन
इस कदर मेरा तेरा मिलन होगा
कि आत्मा का परमात्मा से मिलन होगा
बाराती बनेंगे, ये चादँ, ये तारे
ये सूरज, ये धरती, ये आसमाँ,
कि विवाह का हमारे
खुद गवाह खुदा होगा
लहू से अपने, माँग तेरी
ऐसी सजाऊँगा,
बनकर प्यार तेरे रग-रग में
उतर जाऊँगा
न फिर एहसासे-प्यार
जुदा होगा,
ना परवाह मुझे,
अपने इस
माटी के तन की,
आत्मा तो मेरी तुझमें है
फिर ये माटी
सुपूर्द -ए- खाक होगी।।