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Rajit ram Ranjan

Romance

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Rajit ram Ranjan

Romance

महक जा रही हूँ

महक जा रही हूँ

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मैं तेरे

इश्क़ में,

महक जा

रही हूँ

जरा-जरा सा,

बहक जा

रही हूँ

मेरा

मोम सा

बदन,

अब मेरे

बस मे

नहीं

तेरे जिस्म की

गर्मी से,

मैं

पिघल सी

जा रही हूँ

दूर हो के

तुमसे,

ऐ मेरे रांझना,

बिरह-वियोग में

जली जा

रही हूँ

तेरे

रूप की

किरण,

जबसे

पडी़ है

मुझपे,

फूल सी

मैं

खिली

जा रही हूँ

जब भी

कदम बढ़ाऊँ

तेरी ओर

चली

जा रही हूँ

मैं

तेरे इश्क़ में

महक

जा रही हूँ




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