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TANUJA NANDITA

Drama

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TANUJA NANDITA

Drama

मेरी ज़िंदगी....!

मेरी ज़िंदगी....!

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तुझे बहुत आहिस्ता से लिखना

ए- मेरी ज़िंदगी

कि हर वक़्त तो बस मुस्कुराते मिली...


कुछ आहिस्ता हम जी रहे

कभी तुम बहा के ले चली,

जिधर भी मोड़े चलते गये

वक़्त से मिल फूल बरसे

कभी काँटों पे भी चली...


राह सीधी दिखी

पर मुश्किलें हज़ार,

ख्वाहिशों से सजा मिला हमेशा बाज़ार

कभी दुकानों पे ठगी

फिर उन्हीं से ली ख़ुशी...


ग़मों के तारे जब टूटे

हाथों से बटोरने लगी

माँगती रही दुआएं

अपनों को भी मनाये

साथ- साथ रही परछाई

ए-ज़िंदगी, तू नज़र न आयी…


साँसों से बाँधी धड़कन

मन का हर कोना दर्पण

सच-झूठ नियति ऐसी

मन्नत न बाँधे कोई बंधन

सब अपने और वही परे

अपनी सोच में सब ढले.....

आस बन ऊँगली देती रही

ए-ज़िंदगी, तेरे लिए ही बनी साज़,

साथ और साया लेकर

मेरी रूह खाक़ कहती रही

ए- ज़िंदगी बस तू ही मुझमे है

और नंदिता मुस्कुरा के बस तुझे देखती रही ...!


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