मेरी ज़िन्दगी का गीत ,मेरा जीवन संगीत
मेरी ज़िन्दगी का गीत ,मेरा जीवन संगीत
नादान नटखट नन्ही सी कली अक्ल की कच्ची थी,
जब में छोटी बच्ची थी
खुशबाश उछलती कूदती पूछती थी माँ से
कल कैसा होगा, मैं कैसी बनूंगी कल को,
चाँद सी खूबसूरत होउंगी ना में,धनलक्ष्मी बनूंगी ना मैं
तोतली ज़बान के मासूम सवालों को सुन मुस्काती माँ, कहती
ओ तारा! मेरी प्यारी तारा !
कल जो भी होगा सो होगा
पर कभी भी नहीं छूटेगा ये साथ मेरा तुम्हारा, की
बीते हुए लम्हे को कभी सोच में ढूंढना नहीं और
आने वाले पल की भी तुम खोज करना नहीं,
ओ तारा ! मेरी प्यारी तारा !
देखी जाएगी जो भी होगा सो होगा
चाहे हो जादुई आबरा का डाबरा या गमों का कड़वा काढ़ा
जो भी हो पर तुम सच का दामन कभी नहीं छोड़ना
ओ तारा ! मेरी प्यारी तारा !
देखी जाएगी जो भी होगा सो होगा
पर कभी भी नहीं छूटेगा ये साथ मेरा तुम्हारा
जैसा कहा था माँ ने सब सच हो गया
बचपन बीतकर खूबसूरत दास्तान हो गया
अभी अभी हुई मैं जवान और प्यार हो गया
पूछा मैंने अपने दिलनवाज़ से,
अपने प्रीतम से प्रीत के परिचय पत्र में
कल कैसा होगा, हमारी प्रेम कहानी का क्या अंजाम होगा
दिन इंद्रधनुष और रात चांदनी होंगे ना,
मेरे माथे पर चिंता से उभरी लकीरों पर अपनी प्रीत का चुम्बन कर,
मुझे सुख चैन सुकून देकर
मुस्कुराकर कहा उसने
ओ तारा ! मेरी प्यारी तारा !
देखी जाएगी जो भी होगा सो होगा
पर कभी भी नहीं छूटेगा ये साथ मेरा तुम्हारा
उत्तर,दक्षिण,पूरब पश्चिम हर दिशा में
हर रोग,दर्द,हर दवा में,
हर दुःख हर ख़ुशी में
दिल में हर पल धड़कती इस धड़कन की कहानी में
कभी होगी उबड़ खाबड़ सी गड्ढों से भरी रवानी ये
कभी लगेगी ये एक हसीन दास्तान हमारी,
कभी चलेगा गीले शिकवों का सिलसिला भी,पर
ओ तारा ! मेरी प्यारी तारा !
देखी जाएगी जो भी होगा सो होगा
पर कभी भी नहीं छूटेगा ये साथ मेरा तुम्हारा।
