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Punit Singh

Classics Drama Fantasy

5.0  

Punit Singh

Classics Drama Fantasy

मेरी याद आई

मेरी याद आई

1 min
5.5K


थम के गुज़रा था एक लम्हा,

ठंडी सुर्ख हवा के जैसा,

कि मेरी याद आई।


मन के आँगन में हुई हलचल,

बह निकला अश्कों का लावा जैसा,

कि मेरी याद आई।


कँपकँपी सी होने लगी ज़हन में मेरे,

धड़कने छोड़ने सी चली साथ मेरा,

कि मेरी याद आई।


आँसू भी ना आते थे आँखों में मेरे,

एक तार सा टूट गया दिल का मेरा,

कि मेरी याद आई।


कहते थे लोग मुझसे की बदल चुका है तू,

बचपन की एक तस्वीर जो कल रात हाथ आई,

कि मेरी याद आई।


वो वक़्त बीत चुका था वर्षों पहले,

जब भीगा था प्यार की बारिश से दामन मेरा,

कल रात जो बरसात आई,

मेरी याद आई।


बचपन मे भीगा करती थी पानी में कश्तियाँ,

अब भीगता है तकिया सूनी रातों में,

धुल से जाते हैं रंग भी आज तो बारिशों में,

वो कश्ती फिर कल जो नज़र आई,

कि मेरी याद आई।


बचपन की खुशी और आज के गम

की तस्वीर बना के,

मेरी याद आई।।


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