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Divyanshi Triguna

Classics

3.8  

Divyanshi Triguna

Classics

मेरी मम्मी

मेरी मम्मी

2 mins
283


प्यारी माँ,  

आज मैं यह पत्र अपनी माँ के लिए लिख नहीं हूं। इस पत्र के माध्यम से मैं अपनी माँ का आभार वयक्त करना चाहती हूं, उसे धन्यवाद कहना चाहती हूं। माँ तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद कि तुमने हमें इस रंग-बिरंगी दुनिया में जन्म दिया। हम तुम्हारे सदैव ही आभारी रहेंगे। हम दो बहने और एक भाई हैं। माँ हम तीन बच्चों को बहुत प्यार करती हैं। हमारी माँ ने हमें बहुत प्यार दिया पर हमारी माँ को ऐसा प्यार नहीं मिला। हमारी मम्मी की मम्मी यानी हमारी नानी ने अपने बेटी से कभी प्यार नहीं दिया। जिस समय हमारी मम्मी को उनकी मम्मी की जरूरत थी तब भी वो उस समय उपस्थित नहीं थी। हमारी माँ ने अपनी माँ होते हुए भी बिन माँ के जैसा जीवन जिया हैं।  

कहते हैं इंसान के पास जो होता है वह दूसरो को भी वही देता है। पर हमारे किससे में यह बात गलत सिद्ध हुई है। क्योंकि हमारी मां को अपनी मां से बेटी जैसा प्यार नहीं मिला पर हमारी मां ने हमें बहुत प्यार किया। अपनी बेटियों को बहुत प्यार दिया।

मेरे जीवन में माँ का महत्व कुछ ऐसा है, जैसे किसी शरीर में प्राणों का होता हैं। जिस प्रकार, बिना प्राणों के शरीर बेकार हैं उसी प्रकार बिन माँ के मैं भी बेकार हूँ। मेरे पास आज जो कुछ भी है, वह सब मेरी माँ का दिया हुआ हैं।

अपनी माँ के लिए कुछ प्यार भरी पंक्तियाँ इस प्रकार हैं-

"तेरे हाथ के तकिये पर, माँ रोज सोऊँ मैं 

प्यार करना तू इतना मुझसे, याद करके रोउ मैं 

 कभी भुला ना देना अपनी इस नादान सी बिटिया को

माँ हो मेरी, तुम माँ हो मेरी 

मेरी जननी, माता सब तुम हो पलकों पर रखकर तुमने, मुझको है पाला

पापा की बाहों ने मुझको, हर पल है सँभाला   चलना सिखाया मुझको, हाथ पकड़ कर मेरा शिक्षा दी मुझको ऐसी, जिससे जीवन में रहे सवेरा 

 कभी भुला ना देना अपनी इस नादान सी बिटिया को 

माँ हो मेरी, तुम माँ हो मेरी 

मेरी जननी, माता सब तुम हो 

तेरे हाथ के तकिये पर, माँ रोज सोऊँ मैं 

प्यार करना तू इतना मुझको, याद करके रोऊँ मैं" माँ को शत-शत नमन।


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