मेरी दुनिया
मेरी दुनिया
वो मुझसे कहती है,
कि मैं आपकी दुनिया बनकर जीना चाहती हूं !
और जीऊँगी हमेशा ?
इसपर मेरा उसे जवाब होता है,
कि तुम मेरी दुनिया बनकर जीना चाहती हो सिर्फ ऐसा थोड़ी है!
तुम तो मेरी दुनिया बन चुकी हो कबकी
और उसी मुताबकि जीती हो !
यानी मेरी दुनिया बनकर
और मुझे पता है अब दुनिया मेरी हो तो
मेरे मुताबकि ही चलोगी हमेसा.... हमेसा ....हमेसा ....!
हरपल ... हर क्षण... हर घड़ी.. ।
आखिर दुनिया मेरी हो तो चलोगी भी मेरे ही मुताबिक न।