चाँद तेरा वर्दी, सफ़लता तेरा सुहाग
चाँद तेरा वर्दी, सफ़लता तेरा सुहाग
चाँद तेरा वर्दी ,सफ़लता तेरा सुहाग
अब नहीं तेरे पास कोई विकल्प है,
अंतिम यही संकल्प है..!
प्रगति पथ पर सतत तुझे यूँ ही बढ़ते जाना है..,
घर अपने तुझे ये *वर्दी* ही अब लाना है ..।
सफ़लता ही तेरा सुहाग है,
सर पर लगा कैप तुम्हारा ताज वर्दी तेरा चाँद ,और इसपर चमकती स्टार ही तुम्हारे सितारों की है जहान ..।
ये दिव्य दर्शन पाकर धरती पर माँ और अंतरिक्ष में पिता ठोकेंगे अपनी बेटी को विजयी सलाम ...
इस दृश्य देखकर हर्षित होगा कवि जिसकी आंखें इस सपने को साकार देखने को प्रतीक्षारत है आठों याम।
नम होंगी हम सभी की आंखें और होंठों पर होगा विजयी मुस्कान।